સનાતન ધર્મમાં, મૌની અમાસને પૂર્વજોને મોક્ષ પ્રાપ્ત કરવા માટે શુભ માનવામાં આવે છે. આ દિવસે મહાદેવ, વિષ્ણુજી અને તુલસીની પૂજા કરવાની પરંપરા છે. આ સાથે, પૂર્વજો માટે તર્પણ અને પિંડદાન પણ કરવામાં આવે છે. એવું માનવામાં આવે છે કે આ શુભ કાર્યો કરવાથી જીવનના તમામ સુખો પ્રાપ્ત થાય છે. આ દિવસે તુલસી ચાલીસાનો પાઠ કરવો શ્રેષ્ઠ માનવામાં આવે છે. આ મંત્રનો જાપ કરવાથી આર્થિક સમસ્યાઓમાંથી મુક્તિ મળે છે.
તુલસી ચાલીસાના પાઠ કરવાના ફાયદા
- સાચા મનથી તુલસી ચાલીસાનો પાઠ કરવાથી આર્થિક મુશ્કેલીઓ દૂર થાય છે.
- નાણાકીય લાભ થવાની શક્યતાઓ છે.
- ખરાબ નજરની સમસ્યાથી રાહત મળે છે.
- ઘરમાં શાંતિ આવે છે.
- બધી ઈચ્છાઓ સાચી થાય છે.
મૌની અમાવસ્યાનો ગંગા સ્નાનનો સમય
પંચાંગ અનુસાર, આ વખતે શ્રવણ નક્ષત્ર અને ઉત્તરાષાઢ નક્ષત્રમાં મૌની અમાવસ્યાના દિવસે ગંગા સ્નાન કરવું શુભ રહેશે.
ઉત્તરાષાઢા – 30 જાન્યુઆરીના રોજ સવારે 08:20 સુધી છે.
શ્રવણ નક્ષત્ર – તે 29 જાન્યુઆરીએ સવારે 08:20 વાગ્યે શરૂ થશે. તે જ સમયે, તે 30 જાન્યુઆરીએ સવારે 07:15 વાગ્યે સમાપ્ત થશે.
।।દોહા તુલસી ચાલીસા।।
”श्री तुलसी महारानी, करूं विनय सिरनाय।
जो मम हो संकट विकट, दीजै मात नशाय।।”
नमो नमो तुलसी महारानी, महिमा अमित न जाय बखानी।
दियो विष्णु तुमको सनमाना, जग में छायो सुयश महाना।।
विष्णुप्रिया जय जयतिभवानि, तिहूँ लोक की हो सुखखानी।
भगवत पूजा कर जो कोई, बिना तुम्हारे सफल न होई।।
जिन घर तव नहिं होय निवासा, उस पर करहिं विष्णु नहिं बासा।
करे सदा जो तव नित सुमिरन, तेहिके काज होय सब पूरन।।
कातिक मास महात्म तुम्हारा, ताको जानत सब संसारा।
तव पूजन जो करैं कुंवारी, पावै सुन्दर वर सुकुमारी।।
कर जो पूजन नितप्रति नारी, सुख सम्पत्ति से होय सुखारी।
वृद्धा नारी करै जो पूजन, मिले भक्ति होवै पुलकित मन।।
श्रद्धा से पूजै जो कोई, भवनिधि से तर जावै सोई।
कथा भागवत यज्ञ करावै, तुम बिन नहीं सफलता पावै।।
छायो तब प्रताप जगभारी, ध्यावत तुमहिं सकल चितधारी।
तुम्हीं मात यंत्रन तंत्रन, सकल काज सिधि होवै क्षण में।।
औषधि रूप आप हो माता, सब जग में तव यश विख्याता,
देव रिषी मुनि औ तपधारी, करत सदा तव जय जयकारी।।
वेद पुरानन तव यश गाया, महिमा अगम पार नहिं पाया।
नमो नमो जै जै सुखकारनि, नमो नमो जै दुखनिवारनि।।
नमो नमो सुखसम्पति देनी, नमो नमो अघ काटन छेनी।
नमो नमो भक्तन दुःख हरनी, नमो नमो दुष्टन मद छेनी।।
नमो नमो भव पार उतारनि, नमो नमो परलोक सुधारनि।
नमो नमो निज भक्त उबारनि, नमो नमो जनकाज संवारनि।।
नमो नमो जय कुमति नशावनि, नमो नमो सुख उपजावनि।
जयति जयति जय तुलसीमाई, ध्याऊँ तुमको शीश नवाई।।
निजजन जानि मोहि अपनाओ, बिगड़े कारज आप बनाओ।
करूँ विनय मैं मात तुम्हारी, पूरण आशा करहु हमारी।।
शरण चरण कर जोरि मनाऊं, निशदिन तेरे ही गुण गाऊं।
क्रहु मात यह अब मोपर दाया, निर्मल होय सकल ममकाया।।
मंगू मात यह बर दीजै, सकल मनोरथ पूर्ण कीजै।
जनूं नहिं कुछ नेम अचारा, छमहु मात अपराध हमारा।।
बरह मास करै जो पूजा, ता सम जग में और न दूजा।
प्रथमहि गंगाजल मंगवावे, फिर सुन्दर स्नान करावे।।
चन्दन अक्षत पुष्प् चढ़ावे, धूप दीप नैवेद्य लगावे।
करे आचमन गंगा जल से, ध्यान करे हृदय निर्मल से।।
पाठ करे फिर चालीसा की, अस्तुति करे मात तुलसा की।
यह विधि पूजा करे हमेशा, ताके तन नहिं रहै क्लेशा।।
करै मास कार्तिक का साधन, सोवे नित पवित्र सिध हुई जाहीं।
है यह कथा महा सुखदाई, पढ़े सुने सो भव तर जाई।।
तुलसी मैया तुम कल्याणी, तुम्हरी महिमा सब जग जानी।
भाव ना तुझे माँ नित नित ध्यावे, गा गाकर मां तुझे रिझावे।।
यह श्रीतुलसी चालीसा पाठ करे जो कोय।
गोविन्द सो फल पावही जो मन इच्छा होय।।