
राष्ट्रीय कवि संगम, हिंदी साहित्य भारती “महिला प्रकोष्ठ” और साहित्यम संस्थाओं के संयुक्त तत्वावधान में सोमवार, 17 नवम्बर, 2025 की शाम मुंबई के आज़ाद मैदान स्थित मुंबई प्रेस क्लब के सभागार में “अभिव्यक्ति के स्वर” शीर्षक से राष्ट्रीय बहुभाषी कवि सम्मेलन का सफल आयोजन सम्पन्न हुआ। इस कवि सम्मेलन में विभिन्न विधाओं की भावपूर्ण काव्यात्मक अभिव्यक्ति की सुमधुर गूंज से यह साहित्यिक शाम यादगार बन गई।

इस गरिमापूर्ण कवि सम्मेलन में वरिष्ठ गीतकार देवमणि पांडेय, संतोष कुमार झा, गजानन महतपुरकर, डॉ. कृपाशंकर मिश्र, श्रीमती रागिनी शाह, अरुण शेखर, हेमंत शर्मा, अंजनी कुमार द्विवेदी, ओमप्रकाश तिवारी, किरण तिवारी, अनिल गौड़, डॉ. रोशनी किरण, अनुपमा कड़वाड़, ताज मोहम्मद ताज, आशु शर्मा, जागृति सिन्हा, लक्ष्मी यादव, ओजस्विनी, रीता कुशवाहा, सीमा त्रिवेदी, अर्चना झा, राजू मिश्रा, अश्विनी उम्मीद लखनवी, पल्लवी रानी, अनुज वर्मा, अर्चना वर्मा सिंह, कल्पना म्हापुसकर, अक्षिता गोयल और लतिका शिंदे सहित लगभग 30 रचनाकारों ने हिंदी, मराठी, अवधी, बंगाली और मैथिली भाषाओं में अपनी भावपूर्ण एवं रोचक काव्य रचनाओं से उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। दीप प्रज्ज्वलन एवं मॉं सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण के साथ शुरू हुए इस समारोह के प्रारम्भ में राष्ट्रीय कवि संगम, मुंबई की अध्यक्षा और इस समारोह की मुख्य संयोजिका श्रीमती रीमा राय सिंह ने सभी अतिथियों एवं रचनाकारों का स्मृति चिन्ह प्रदान कर स्वागत किया। इस अवसर पर मंच पर उपस्थित सभी गणमान्य अतिथियों ने कोंकण रेलवे के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री संतोष कुमार झा के चौथे काव्य संग्रह “स्याही का सिपाही” का लोकार्पण भी किया।
समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ सिने गीतकार श्री देवमणि पांडेय ने की और इसका सुरुचिपूर्ण मंच संचालन वरिष्ठ कवयित्री डॉ. वर्षा महेश ने किया। आकाशवाणी मुंबई के वरिष्ठ उद्घोषक आनंद प्रकाश सिंह, वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती कमलेश पाठक, हिन्दी साहित्य भारती महिला प्रकोष्ठ, मुंबई की अध्यक्षा रागिनी वीरेंद्र शाह, वरिष्ठ साहित्यकार नवीन चतुर्वेदी, कोंकण रेलवे के राजभाषा अधिकारी सदानंद चितले और प्रसिद्ध समाजसेवी महेंद्र सुराणा भी मंच पर विराजमान थे, जिन्होंने अपने विचारों से सभी को लाभान्वित किया। मुख्य अतिथि के रूप में कोंकण रेलवे के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक संतोष कुमार झा ने अपने सम्बोधन में सभी रचनाकारों की सराहना की और समाज में साहित्य के शाश्वत महत्व पर प्रकाश डाला। समारोह के अंत में नवीन चतुर्वेदी और श्रीमती रीमा राय सिंह ने आतिथ्य धर्म का निर्वहन करते हुए सभी अतिथियों एवं रचनाकारों का आभार व्यक्त किया।




